बच्चों का कोई देश नहीं होता
जिस तरह वे संभालते हैं अपना सिर वह होता है एक जैसा
जिस तरह वे टकटकी लगाए देखते हैं, एक जैसी जिज्ञासा लगती है उनकी आँखों मे
जब वे रोते हैं एक जैसी होती है उनकी आवाज की लय।
बच्चे मानवता का प्रस्फुटन हैं
गुलाबों में सबसे प्यारे गुलाब, सबसे अच्छी गुलाब की कलियाँ
कुछ होते हैं रोशनी के सबसे सच्चे टुकड़े
कुछ होते हैं कल छौंहे काले द्राक्ष।
पिताओ, उन्हें अपने मस्तिष्क से निकल न जाने दो
माताओ, संभालो - सहेजो अपने बच्चों को
चुप करो उन्हें, चुप करो मत बात करने दो उनसे
जो बातें करते हैं युद्ध और बर्बादी की
आओ हम छोड़ दें ताकि वे बढ़ सकें भावावेश में
ताकि वे अंकुरित हों और उग सके पौधों की तरह
वे तुम्हारे नहीं, हमारे नहीं, किसी एक के भी नहीं
सबके हैं , पूरी दुनिया के
वे हैं मनुष्यता की आँख की पुतलियाँ।
(तुर्की के चर्चित कवि हैं अतौल बहरामुग्लू /अनुवाद-सिद्धेश्वर सिंह)
जिस तरह वे संभालते हैं अपना सिर वह होता है एक जैसा
जिस तरह वे टकटकी लगाए देखते हैं, एक जैसी जिज्ञासा लगती है उनकी आँखों मे
जब वे रोते हैं एक जैसी होती है उनकी आवाज की लय।
बच्चे मानवता का प्रस्फुटन हैं
गुलाबों में सबसे प्यारे गुलाब, सबसे अच्छी गुलाब की कलियाँ
कुछ होते हैं रोशनी के सबसे सच्चे टुकड़े
कुछ होते हैं कल छौंहे काले द्राक्ष।
पिताओ, उन्हें अपने मस्तिष्क से निकल न जाने दो
माताओ, संभालो - सहेजो अपने बच्चों को
चुप करो उन्हें, चुप करो मत बात करने दो उनसे
जो बातें करते हैं युद्ध और बर्बादी की
आओ हम छोड़ दें ताकि वे बढ़ सकें भावावेश में
ताकि वे अंकुरित हों और उग सके पौधों की तरह
वे तुम्हारे नहीं, हमारे नहीं, किसी एक के भी नहीं
सबके हैं , पूरी दुनिया के
वे हैं मनुष्यता की आँख की पुतलियाँ।
(तुर्की के चर्चित कवि हैं अतौल बहरामुग्लू /अनुवाद-सिद्धेश्वर सिंह)
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