हमारे लोकतंत्र में सब कुछ संभव है। इसी तरह उत्तरांचल में आई बाढ़ के दिनो में एक टीवी रिपोर्टर ने वहां के एक आदमी के कंधे को नैया बनाकर लाइव रिपोर्टिंग की थी, जिसकी पूरे देश भर में थू-थू हुई थी।
तो ये कोई नई बात नहीं। जब, जिसे भी मौका मिलता है, कूद कर दूसरे के कंधे पर सवार होकर अपनी नैया पार लगाने में जुट जाता है।
घाट-घाट पर पार इसी तरह से पार उतरने वालो का जमघट है। ऐसी ही सवारियों से लोकतंत्र का कंधा टीसने लगा है।
अजब हाल है। गजब लोकतंत्र है !!
तो ये कोई नई बात नहीं। जब, जिसे भी मौका मिलता है, कूद कर दूसरे के कंधे पर सवार होकर अपनी नैया पार लगाने में जुट जाता है।
घाट-घाट पर पार इसी तरह से पार उतरने वालो का जमघट है। ऐसी ही सवारियों से लोकतंत्र का कंधा टीसने लगा है।
अजब हाल है। गजब लोकतंत्र है !!
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