Sunday, 7 December 2014

रंग / जयप्रकाश त्रिपाठी

सुंदर-सुंदर रंगों वाले रंगे-बड़े-दुरंगे
कहां कहां झूठे बसते हैं .....
मुंह से शहद, पीठ पीछे से
हंसी हलाहल की बरसाते
पल में मधुर प्रणाम और पल में डंसते हैं
कहां कहां झूठे बसते हैं .....


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