मैं समस्त सुबहों-शामों में शामिल हूं,
मैं जन-मन के संग्रामों में शामिल हूं
मैं तरु की पत्ती-पत्ती पर चहक रहा,
मैं रोटी की लौ में निश-दिन लहक रहा
मैं जन के रंग में, मन की रंगोली में,
मैं बच्चे-बच्चे की मीठी बोली में
आंखों के ये तारे रस्ते मेरे हैं,
खुशियों के ये सारे रस्ते मेरे हैं,
जग के सब दुखियारे रस्ते मेरे हैं......
मैं जन-मन के संग्रामों में शामिल हूं
मैं तरु की पत्ती-पत्ती पर चहक रहा,
मैं रोटी की लौ में निश-दिन लहक रहा
मैं जन के रंग में, मन की रंगोली में,
मैं बच्चे-बच्चे की मीठी बोली में
आंखों के ये तारे रस्ते मेरे हैं,
खुशियों के ये सारे रस्ते मेरे हैं,
जग के सब दुखियारे रस्ते मेरे हैं......
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