1. मीडिया पूंजी बटोरने का धंधा है या समाज को दिशा देने का मिशन?
2. क्या भारत के गरीबों और वंचितों को मीडिया ने हाशिये पर फेक दिया है?
3. क्या हिंदी मीडिया के लिए साहित्य गैरजरूरी हो गया है?
4. क्या ज्यादातर मीडिया घरानों को अब पत्रकार नहीं, एचआर हेड चला रहे हैं?
5. हिंदी मीडिया क्या गांव-देहात के पत्रकारों का सबसे ज्यादा शोषण कर रहा है?
6. क्या मीडिया में महिलाओं, दलितों और मुसलमानों की संख्या नगण्य है?
7. क्या ज्यादातर मीडिया हाउसों में एक भी मान्यता-प्राप्त महिला पत्रकार नहीं हैं?
8. क्या हिंदी मीडिया के लिए पाठक केवल ग्राहक भर रह गया है?
9. क्या ज्यादातर हिंदी अखबार पत्रकारिता के मूल्यों को रौंद रहे हैं?
10. क्या फूहड़ता परोस कर मीडिया आधी आबादी की अस्मिता से खेल रहा है?
11. क्या पत्रकारिता सामाजिक परिवर्तन का सबसे कारगर माध्यम है?
12. क्या आज पत्रकारिता अपने मार्ग से भटक गयी है?
13. क्या पत्रकारिता की शक्तियों का मीडिया हाउस दुरूपयोग कर रहे हैं?
14. क्या मीडिया भारतीय समाज के तीन स्तंभों पर हावी होना चाहता है?
15. क्या मीडिया हाउस भी बेरोजगारी और अशिक्षा का लाभ उठा रहे हैं?
16. क्या भ्रष्टाचार के ज्यादातर मामलों पर मीडिया हाउस चुप्पी साध लेते हैं?
17. क्या मीडिया किसानों और मजदूरों पर अत्याचार की खबरों को छिपाता है?
18. क्या मीडिया गांवों की समस्याओं को नकार दिया है?
19. क्या मीडिया ने आजादी के आंदोलन में पत्रकारिता की भूमिका को भुला दिया है?
20. क्या हिंदी मीडिया में अब लेखकों, साहित्यकारों की संख्या नगण्य हो गयी है?
21. क्या सभी बड़े अखबार अपने को सबसे ज्यादा लोकप्रिय बताकर झूठ बोलते हैं?
22. क्या ज्यादातर मीडिया हाउस संचालक पूंजीपति हैं?
23. जनता को जगाने के लिए मीडिया को क्या करना चाहिए?
24. क्या हिंदी अखबारों में पत्रकारों से बारह से सोलह घंटे तक काम लिया जाता है?
25. क्या मीडिया हाउस श्रम कानूनों का उल्लंघन कर रहे हैं?
26. क्या पत्रकार समाज का प्रहरी नहीं, केवल वेतनभोगी होता है?
27. क्या ज्यादातर पत्रकार ईमानदार और अपने पेशे से संतुष्ट नहीं हैं?
28. क्या अब स्वतंत्र पत्रकारिता के दिन लद चुके हैं?
29. क्या यह पत्रकारिता का प्रश्नकाल है?
30. क्या ये प्रश्न जरूरी हैं? इनके समाधान की दिशा में अब क्या होना चाहिए?
(जन मीडिया मंच की ओर से जारी)
2. क्या भारत के गरीबों और वंचितों को मीडिया ने हाशिये पर फेक दिया है?
3. क्या हिंदी मीडिया के लिए साहित्य गैरजरूरी हो गया है?
4. क्या ज्यादातर मीडिया घरानों को अब पत्रकार नहीं, एचआर हेड चला रहे हैं?
5. हिंदी मीडिया क्या गांव-देहात के पत्रकारों का सबसे ज्यादा शोषण कर रहा है?
6. क्या मीडिया में महिलाओं, दलितों और मुसलमानों की संख्या नगण्य है?
7. क्या ज्यादातर मीडिया हाउसों में एक भी मान्यता-प्राप्त महिला पत्रकार नहीं हैं?
8. क्या हिंदी मीडिया के लिए पाठक केवल ग्राहक भर रह गया है?
9. क्या ज्यादातर हिंदी अखबार पत्रकारिता के मूल्यों को रौंद रहे हैं?
10. क्या फूहड़ता परोस कर मीडिया आधी आबादी की अस्मिता से खेल रहा है?
11. क्या पत्रकारिता सामाजिक परिवर्तन का सबसे कारगर माध्यम है?
12. क्या आज पत्रकारिता अपने मार्ग से भटक गयी है?
13. क्या पत्रकारिता की शक्तियों का मीडिया हाउस दुरूपयोग कर रहे हैं?
14. क्या मीडिया भारतीय समाज के तीन स्तंभों पर हावी होना चाहता है?
15. क्या मीडिया हाउस भी बेरोजगारी और अशिक्षा का लाभ उठा रहे हैं?
16. क्या भ्रष्टाचार के ज्यादातर मामलों पर मीडिया हाउस चुप्पी साध लेते हैं?
17. क्या मीडिया किसानों और मजदूरों पर अत्याचार की खबरों को छिपाता है?
18. क्या मीडिया गांवों की समस्याओं को नकार दिया है?
19. क्या मीडिया ने आजादी के आंदोलन में पत्रकारिता की भूमिका को भुला दिया है?
20. क्या हिंदी मीडिया में अब लेखकों, साहित्यकारों की संख्या नगण्य हो गयी है?
21. क्या सभी बड़े अखबार अपने को सबसे ज्यादा लोकप्रिय बताकर झूठ बोलते हैं?
22. क्या ज्यादातर मीडिया हाउस संचालक पूंजीपति हैं?
23. जनता को जगाने के लिए मीडिया को क्या करना चाहिए?
24. क्या हिंदी अखबारों में पत्रकारों से बारह से सोलह घंटे तक काम लिया जाता है?
25. क्या मीडिया हाउस श्रम कानूनों का उल्लंघन कर रहे हैं?
26. क्या पत्रकार समाज का प्रहरी नहीं, केवल वेतनभोगी होता है?
27. क्या ज्यादातर पत्रकार ईमानदार और अपने पेशे से संतुष्ट नहीं हैं?
28. क्या अब स्वतंत्र पत्रकारिता के दिन लद चुके हैं?
29. क्या यह पत्रकारिता का प्रश्नकाल है?
30. क्या ये प्रश्न जरूरी हैं? इनके समाधान की दिशा में अब क्या होना चाहिए?
(जन मीडिया मंच की ओर से जारी)
No comments:
Post a Comment