मुक्तिबोध
तो फिर जनता का साहित्य क्या है? जनता के साहित्य से अर्थ है ऐसा साहित्य जो जनता के जीवनादर्शों को, प्रतिष्ठापित करता हो, उसे अपने मुक्तिपथ पर अग्रसर करता हो। इस मुक्तिपथ का अर्थ राजनैतिक मुक्ति से लगाकर अज्ञान से मुक्ति तक है। अत: इसमें प्रत्येक प्रकार का साहित्य सम्मिलित है, बशर्तें कि वह सचमुच उसे मुक्तिपथ पर अग्रसर करे। (लखनऊ के राष्ट्रीय पुस्तक मेले में 'मीडिया हूं मैं' भी उपलब्ध)
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