(यशवंत सिंह, एडिटर, भड़ास4मीडिया )

बाद में रमेश चंद्र अग्रवाल ने पीड़िता का उसके पति से तलाक करवाया. आखिरकार जब रमेश चंद्र अग्रवाल का पीड़िता से मन उब गया तो उसने उसे किनारे कर दिया और कोई भी संपर्क रखने से बचने लगा. इससे मजबूर होकर पीड़िता को कोर्ट का रास्ता अपनाना पड़ा.
पीड़िता ने कोर्ट में लिखित शिकायत में जो कुछ कहा है, वह न सिर्फ चौंकाने वाला है बल्कि एक बड़े मीडिया हाउस के मालिक की महिलाओं के प्रति नजरिए को भी उजागर करता है. बेटियों, महिलाओं को बचाने, सम्मान देने, बराबरी देने के ढेर सारे नारे देने वाला भास्कर समूह का चेयरमैन खुद महिला उत्पीड़न के एक बड़े मामले में आरोपी बन गया है.
देश के बाकी सारे मीडिया हाउस, अखबार, न्यूज चैनल इस खबर पर कतई एक लाइन न तो लिखेंगे, न दिखाएंगे क्योंकि उनके बिरादरी, फ्रैटनर्टी का मामला है. अगर यही मसला किसी और का होता तो मीडिया हाउस न जाने कबका इतना शोर मचा चुके होते कि पुलिस आरोपी को गिरफ्तार कर जेल में डाल चुका होता. ये खबर उन पत्रकारों, संपादकों के लिए है जो दिन भर पत्रकारिता के पतन पर आंसू बहाते रहते हैं लेकिन मीडिया के मालिकों की घिनौनी करतूत पर चुप्पी साधे रहते हैं.
अब पूरा दारोमदार सोशल मीडिया, न्यू मीडिया, वेब, ब्लाग, ह्वाट्सएप आदि पर है जहां इस खबर को ज्यादा से ज्यादा शेयर कर पूरे मामले को जनता के बीच ले जाया जा सकता है और बड़े लोगों की काली करतूत को उजागर किया जा सकता है. ये पूरा प्रकरण भड़ास के पास ह्वाट्सएप के जरिए पहुंचा है. सोचिए, अगर ये न्यू मीडिया माध्यम न होते तो बड़े लोगों से जुड़ी काली खबरें हमारे आप तक पहुंचने से पहले ही दम तोड़ जातीं क्योंकि बिकाऊ और बाजारू कार्पोरेट मीडिया का काम बड़े लोगों से जुड़ी भ्रष्टाचार और अत्याचार की खबरों को छापना नहीं बल्कि छुपाने का हो गया है.
No comments:
Post a Comment