घर के मौसम की तरह,
बाजार के दिवसों की तरह,
फिल्मी या किताबी किस्से-कहानियों की तरह
या मन में जीवन में समायी हुई,
समस्त स्मृतियों में निराकार,
मां का महाकाव्य,
जैसेकि एक ऐसा नाम - 'मां-चरित मानस'
रोज रोज पढ़ते हुए,
तो लिखे न कोई
मन की मां की तरह
मां-चरित मानस....
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