वैद हकीम मुनीम महाजन साधु पुरोहित पंडित पोंगा,
लेखक लाख मरे बिनु अन्न, चचा कविता करि का सुख भोगा।
पाप को पुण्य भलो की बुरो, सुरलोक की रौरव कौन जमोगा,
देश बरे की बुताय पिया हरखाय हिया तुम होहु दरोगा।
लेखक लाख मरे बिनु अन्न, चचा कविता करि का सुख भोगा।
पाप को पुण्य भलो की बुरो, सुरलोक की रौरव कौन जमोगा,
देश बरे की बुताय पिया हरखाय हिया तुम होहु दरोगा।
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