Tuesday, 28 January 2014

अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'



उठो लाल अब आँखें खोलो
पानी लायी हूँ, मुँह धोलो

बीती रात कमल -दल फूले
उनके ऊपर भँवरे झूले

चिडिया चहक उठी पेडो पर
बहने लगी हवा अति सुन्दर

भोर हुई सूरज उग आया
नभ में हुई सुनहरी काया

आसमान में छाई लाली
हवा बही सुख देने वाली

नन्ही -नन्ही किरणें आएँ
फूल हँसे कलियाँ मुस्काएँ

इतना सुन्दर समय ना खोओं
मेरे प्यारे अब मत सोओं

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