Tuesday, 10 December 2013

ढोड़वा के घर में ढिंढोड़

कोई गद्दी गया छोड़ है,
भीतर-भीतर लगी होड़ है,
जोड़-तोड़ भइ जोड़-तोड़ है।

चित्तू चित्त पड़े पयताने,
हांफ रहे बेवजह फलाने,
दाद-खाज में नया कोढ़ है,
जोड़-तोड़ भइ जोड़-तोड़ है।

कैसे गद्दी पर चढ़ जाऊं
पाऊं, फिर जीभर के खाऊं
बस इतना भर का निचोड़ है,
जोड़-तोड़ भइ जोड़-तोड़ है।

दन्नूजी चढ़ गए अटारी,
सन्नूजी गा रहे लचारी,
मन्नू चाहे तोड़फोड़ है,
जोड़-तोड़ भइ जोड़-तोड़ है।

खुत्थड़ को थुत्थड़ थुथकारे,
बात-बात पर ताने मारे,
आने वाला नया मोड़ है,
जोड़-तोड़ भइ जोड़-तोड़ है।

झाड़ू ने झड़झड़ा दिया है,
ऐसा पिल्लर खड़ा किया है
आगे मकड़ी का जाला है,
सन 14 आने वाला है,
ढोड़वा के घर में ढिंढोड़ है,
जोड़-तोड़ भइ जोड़-तोड़ है।

No comments:

Post a Comment