विंब अस्वीकार होने दीजिए अब,
आईने के पार होने दीजिए अब।
बहुत घबराने लगा है मन,
जिया जाता नहीं यह भीड़-भीतर का अजनबीपन,
एक को दो-चार होने दीजिए अब।
देख शीशों के अजायब घर
बड़े होने लगे हैं हाथ के साधे हुए पत्थर,
सोख चीड़ीमार होने दीजिए अब।
टेक बूढ़े बादलों का छल,
अनवरत चढ़ रहा है नाक के ऊपर नदी का जल,
बाढ़ की दीवार होने दीजिए अब।
आईने के पार होने दीजिए अब।
सुन्दर रचना। नये चिठ्ठे की शुरुआत के लिए हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteविश्व का सबसे हल्का पदार्थ - कार्बन एरोजेल (Carbon Aerogel)।
क्या आपको भी आते हैं इस तरह के ईनामी एसएमएस!!
नया चिठ्ठा :- Knowledgeable-World
कृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा दीजिये। कमेंट करने में दिक्कत आती है!!
ReplyDeletebahut badiya sir....
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