Wednesday, 21 January 2015

पढ़ते-सुनते-देखते हुए

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल को पढ़ते-सुनते-देखते हुए कई सवाल जेहन में कौंध रहे हैं। मसलन कि इस कथित साहित्य महोत्सव में कितना साहित्य, कितनी सियासत, कितना मनोरंजन, किसका साहित्य, कैसा साहित्य आदि-आदि!
उत्सव में पाकिस्तानी शायर फैज अहमद फैज की बेटी सलीमा हाशमी भी शिरकत कर रही हैं और अभिनेता गिरीश कर्नाड, वहीदा रहमान आदि भी। फेस्टिवल के पहले दिन उद्‌घाटन के दौरान साहित्य के सियासी रंग भी, सीएम वसुंधरा राजे, जावेद अख्तर और शबाना आजमी ।
जावेद-शबाना के हाथ में राजे का हाथ। इस दौरान ऎड गुरू और गीतकार प्रसून जोशी ने बताया कि वह पीएम नरेंद्र मोदी को वह क्यों पसंद करते हैं और उनके कुछ अभियानों से वह क्यों जुडे हैं। उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी राजनीति सही दिशा में जा रही है इसलिए वे उनके कुछ अभियानों से जुडे हैं और उनके प्रचार अभियान में काम किया है। जोशी का कहना था कि `गंदी बात` जैसे शब्दों के इस्तेमाल से बनने वाले गानों के पीछे लोगो की पसंद नहीं बल्कि लेखको की गलती है। जावेद अख्तर का कहना था कि "गंदी बात` जैसे शब्दों का प्रयोग इसलिए किया जाने लगा है क्योंकि आज लोग वही सुनना चाहते हैं। भले ही ऎसे गाने ज्यादा दिनों तक लोगों की जुबां पर नहीं रहते, लेकिन फिर भी लेखक उन्हें लिखने के लिए मजबूर हैं।
"सेवन डेडली सिन्स इन अवर टाइम" सेशन में इमिर मैकब्राइड का कहना था कि वर्तमान में धर्म से जुड़े इंस्टीट्यूशंस ज्यादा हिंसक हो गए हैं। 

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