Thursday, 27 November 2014

स्त्री : पांच / चन्द्रकान्त देवताले

जिनने तस्वीरें खींचीं, घायल हुए
तस्वीरों में देखो कैसे मुस्करा रहे हैं प्रमुदित
कि रोंगटे खड़े हो जाते हैं
भरोसा करना मुश्किल है इन तस्वीरों पर
द्रौपदी के चीर-हरण की तस्वीर फिर भी बरदाश्त कर सका था मैं
क्योंकि दूसरी दिशा से लगातार बरस रही थी हया
पर ये तस्वीरें, सब कुछ ही तो नंगा हो रहा है इनमें
छिपाओ इस बहशीपन को
बच्चों और गर्भवती स्त्रियों की नज़रों से
रोको इनका निर्यात, ढक दो इन तस्वीरों को बची खुची हया से ।

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