तुम प्यार करते हो देश को, सबसे करीबी, सबसे क़ीमती चीज़ के समान लेकिन एक दिन, वे उसे बेच देंगे, उदाहरण के लिए अमेरिका को, साथ में तुम्हें भी, तुम्हारी महान आज़ादी समेत सैनिक अड्डा बन जाने के लिए तुम स्वतंत्र हो...
तुम खर्च करते हो अपनी आंखों का शऊर, अपने हाथों की जगमगाती मेहनत,और गूँधते हो आटा दर्जनों रोटियों के लिए काफी
मगर ख़ुद एक भी कौर नहीं चख पाते;
तुम स्वतंत्र हो दूसरों के वास्ते खटने के लिए
अमीरों को और अमीर बनाने के लिए तुम स्वतंत्र हो......
जन्म लेते ही तुम्हारे चारों ओर वे गाड़ देते हैं झूठ कातने वाली तकलियाँ
जो जीवनभर के लिए लपेट देती हैं तुम्हें झूठों के जाल में
अपनी महान स्वतंत्रता के साथ सिर पर हाथ धरे
सोचते हो तुम ज़मीर की आज़ादी के लिए तुम स्वतंत्र हो......
तुम्हारा सिर झुका हुआ मानो आधा कटा हो गर्दन से,
लुंज-पुंज लटकती हैं बाँहें, यहाँ-वहाँ भटकते हो तुम
बेरोज़गार रहने की आज़ादी के साथ तुम स्वतंत्र हो......
तुम दावा कर सकते हो कि तुम नहीं हो
महज़ एक औज़ार, एक संख्या या एक कड़ी
बल्कि एक जीता-जागता इंसान, वे फौरन हथकड़ियाँ जड़ देंगे
तुम्हारी कलाइयों पर, गिरफ्तार होने, जेल जाने
या फिर फाँसी चढ़ जाने के लिए तुम स्वतंत्र हो......
नहीं है तुम्हारे जीवन में लोहे, काठ या टाट का भी परदा;
स्वतंत्रता का वरण करने की कोई ज़रूरत नहीं,
तुम तो हो ही स्वतंत्र, मगर तारों की छाँह के नीचे
इस किस्म की स्वतंत्रता कचोटती है....
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