संतोष सिंह के साथ अपने कानपुर आवास में
जय प्रकाश त्रिपाठी जी से हमारी मुलाकात यशवंत भाई के जरिए हुई.... प्रगतिशील सोच के साथ मीडिया के क्षेत्र में उन्होंने एक पूरा करियर अपने मूल्यों पर अडिग रहते हुए जिया है. जितने अच्छा ये लिखते है, पहली मुलाकात में ही मुझे उससे अधिक एक अच्छे इन्सान लगे...जयप्रकाश जी ने पूरी भारतीय मीडिया का इतिहास, उसका उतार-चढ़ाव और विकास, मूल-तत्व और सिद्धांत, और इस क्षेत्र के अपने संस्मरण/रिपोर्ताज को बड़े ही रोचक और सरल तरीके से अपनी किताब "मीडिया हूँ मैं" में उतारा है. पत्रकारों के लिए जरुरी इस किताब को मेरे जैसे अ-पत्रकार के पास होना तो बनता था....चित्र में मूल लेखक से उसकी किताब "मीडिया हूँ मैं" को प्राप्त करता हुआ.
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