Friday, 24 January 2014

हम फोकटिया मतदाता

जयप्रकाश त्रिपाठी

आज मतदाताओं के जागरूक होने का दिन है। जागरूक होते होते हम कहां से कहां पहुंच गये। जो हमे जागरूक करने आते हैं, हमारे लिए और कुछ नहीं करते फिर कभी नहीं दिखते हैं। हमे जागरूक करने के बाद अपने ऊपर वालों की टोली शामिल होकर चंपत, लापता हो जाते हैं। मतदाताओं को जागरूक करने की जितनी चिंता है, काश उतनी देश के करोड़ो बेरोजगारों, गरीबों, फटेहालों, जातिवाद और सांप्रदायिकता से हाशिये पर जा पड़े लोगों को मुख्यधारा में ले आने की चिंता होती। कल्याणकारी राज्य होने की नौटंकी करते करते 1954 से 2014 में पहुंच गये, जो लूटपाट-हत्यायें करते थे, एमएलए, मिनिस्टर तक बन गये, सरकारी खजाने लूट लूट कर न जाने कितने ऐश कर रहे हैं, जनता के पैसे से प्लेन में देश विदेश घूम रहे हैं, हम रह गये फोकटिया मतदाता के मतदाता। मतदाता बनने से पूर्व हर मतदाता को अपने अधिकार को सिर्फ वोट डालने के रूप में नहीं देखना चाहिए बल्कि उन प्रश्नों से आंख मिलाना भी सीख लेना चाहिए, जो भारतीय लोकतंत्र का खून पीने वाले जरायम तत्वों को राह चलते सलाम ठोंकते हैं.....जान लेना चाहिए कि हम पांच साल में सिर्फ वोट डाल आने के लिए नहीं हैं, हम जान गये हैं कि चोर, जातिवादी, उचक्के, सांप्रदायिक, जनद्रोही कौन हैं, हम मतदाता हैं तो अब समय हमारा होगा, देश हमारा है लोकतंत्र हमारे लिए होगा, हम हैं देश के अस्सी फीसदी लोग।   

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