सबका पानी सोख रहे हैं
कोठी वाले बम्मड़जी,
छप्पर-छप्पर भौंक रहे हैं
कोठी वाले बम्मड़जी।
और कहीं पर लेब-न-देब
कुर्ते में 'स्विस' वाला जेब
गांठ-गांठ में लिये फरेब
कोठी वाले बम्मड़जी।
मुर्ग-मोसल्लम चांप रहे थे
टिकट के लिए कांप रहे थे
बित्ता-बित्ता नाप रहे अब
कोठी वाले बम्मड़जी।
पांच साल तक सीधा रेट
छप्पन छुरी, बहत्तर पेट
फिर करने निकले आखेट
कोठी वाले बम्मड़जी।
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