तेल देखिए, और तेल की धार देखिए......
हरदम प्राइस-वार देखिए, ओपेक की हुंकार देखिए,
तरह-तरह की कार देखिए, अद्भुत नाटककार देखिए,
दिल्ली की सरकार देखिए, महंगाई की मार देखिए.....
तेल देखिए, और तेल की धार देखिए।
चोट्टों का व्यापार देखिए, झोलीफाड़ गुहार देखिए,
मालदार अय्यार देखिए, चोरों की भरमार देखिए,
डालर की झंकार देखिए, रुपया दांत-चियार देखिए,
तेल देखिए, और तेल की धार देखिए।
गाड़ी धक्कामार देखिए, मचता हाहाकार देखिए,
दौलत के अंबार देखिए, जालिम जोड़ीदार देखिए,
भीतर-भीतर प्यार देखिए, बाहर से तकरार देखिए.....
तेल देखिए, और तेल की धार देखिए।
पंडों के त्योहार देखिए, पब्लिक अपरंपार देखिए,
मुफलिस की दरकार देखिए, लोकतंत्र लाचार देखिए,
कानूनी हथियार देखिए, संविधान बेकार देखिए.....
तेल देखिए, और तेल की धार देखिए।
गद्दी पर पर दुमदार देखिए, वोटर पर उपकार देखिए,
सबके सिर तलवार देखिए, बिना नाव पतवार देखिए,
फांके से बीमार देखिए, फांसी पर दो-चार देखिए, .....
तेल देखिए, और तेल की धार देखिए।
संकट के आसार देखिए, लोग फंसे मझधार देखिए,
उजड़े घर-परिवार देखिए, धनिया की चिग्घार देखिए,
गोबर की अंकवार देखिए, किसान की ललकार देखिए,
तेल देखिए, और तेल की धार देखिए।
कुर्सी-कुर्सी स्यार देखिए, खादी में अवतार देखिए,
लुच्चों के त्योहार देखिए, गुंडों के सरदार देखिए,
खूब मचाये रार देखिए, फिर जूतम-पैजार देखिए,
तेल देखिए, और तेल की धार देखिए।
विश्वबैंक बटमार देखिए, जुड़े तार-बे-तार देखिए,
दोनो हाथ उधार देखिए, अमरीकी दुत्कार देखिए,
डाकू के भंडार देखिए, होते बंटाढार देखिए,
तेल देखिए, और तेल की धार देखिए।
अय्याशी उस पार देखिए, फिल्मी पॉकेटमार देखिए,
पर्दे पर पुचकार देखिए, गंदे गीत-मल्हार देखिए,
खुले नर्क के द्वार देखिए, एक नहीं सौ बार देखिए,
तेल देखिए, और तेल की धार देखिए........
@जयप्रकाश त्रिपाठी ('जग के सब दुखियारे रस्ते मेरे हैं' काव्य-संग्रह से)